Friday, December 26, 2014


This poem was written for my all friends of BS-MS time period. It is like a tribute to them. It was a very happiest and great time period of my life.


अलविदा न कहना (for my friends)

अपने इस जीवन पांच साल में 
बहुत खुछ सीखा पाया है
हर दुख संकट में हमने 
अपनों को ही पाया है 
आगे भी हम अपनों  
अपने हृदय में जरूर रखना 
लेकिन अलविदा न कहना 

बीत गए ये पांच साल 
बहुत खुछ मैंने किया है 
गलती से भी गलत हुआ हो 
तो एक सजा मत देना 
मुझे अलविदा न कहना

दूर जाने वालों से 
एक उम्मीद जरुर मैं रखता हूँ 
अपने इस जीवन पथ पर 
होगा मिलना जुलना 
लेकिन अलविदा न कहना 

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